28 वर्ष के जीवन काल में मैंने 700 से अधिक कविताएं लिखी हैं । मेरी पहली किताब का नाम है ‘स्वर्ग’ जो कुछ वर्ष पूर्व प्रकाशित हुई थी जिसकी हजारों प्रतियां बिक चुकी हैं। कोरोना काल में भी मेरा एक काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ जिसका नाम है ‘हाय री! कुमुदिनी’। इस पुस्तक में मेरी 51 प्रतिनिधि कविताएं हैं। काशी के अपर मंडलायुक्त एवं वरिष्ठ नवगीतकार श्री ओम प्रकाश चौबे ‘ओम धीरज जी’ के साथ-साथ देश के जाने-माने साहित्यकारों ने इस पुस्तक की समीक्षा एवं शुभकामनाएं लिखी हैं जो मेरे लिए कोरोना काल की अविस्मरणीय उपलब्धियां हैं। अमेरिका और आस्ट्रेलिया से प्रकाशित प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में भी मेरी कविताएं और कहानियां प्रकाशित होती रही हैं। कोरोना की विषम परिस्थितियों पर आधारित मेरी बहु चर्चित कहानी ‘कोरोना और करूणा’ वर्जिनिया से प्रकाशित मासिक पत्रिका सेतु में प्रकाशित हुई। देश के विभिन्न राज्यों यथा ..उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ इत्यादि से प्रकाशित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में भी मेरी रचनाएं निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। गूगल पर भी मेरी कविताएं पढ़ी जा सकती हैं। अमेजॉन पर भी उपलब्ध है अपना काव्य संग्रह ‘हाय री! कुमुदिनी’। अरुणाचल प्रदेश की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास तथा यहां की प्राकृतिक सौंदर्य को समर्पित एक पुस्तक भी बहुत जल्दी प्रकाशित होने वाली है।
-सुनील चौरसिया ‘सावन’
हिन्दी शिक्षक
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश।