मुझें साहित्यकार समझने की आप भूल न करें उबड़-खाबड़,कांटेदार रचनाओं को फूल न कहें। मेरी रचनाएँ बनावट और सजावट से हैं महरूम कृपया अलोचना करें मगर ऊल-जुलूल न कहें । हाँ चुभते ज़रूर हैं चंद लोगों की नज़रों में यारों हक़ीक़त में हैं नागफनी ,इन्हें आप बबूल न कहें। कुछ […]
prasad
जीवी हैं बुद्धि नहीं, कहलाते बुद्धिजीवी हैं। सेवा वो किये नहीं, कहलाते समाजसेवी हैं।। कार्य करते नहीं वो,कार्यकर्ता कहलाते हैं। निधि अपना भरते,प्रतिनिधि कहलाते हैं।। गणमान्य हैं सबके,मान्य वो गण रखते हैं। अपने साथ सूई नहीं, कैंची जरुर रखते हैं।। अनपढ़ नेता बनते,पढ़कर नौकरी करते हैं। आईएएस उनके ही,ले फाइल […]