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एक बंद पड़े पुराने दराज़ से निकाली है मैंने,
अपने सबसे उजले दिनों में लिखी प्रेम की कविताएं..।
सबसे खूबसूरत दिनों में तुम्हारे भेजे प्रेम-पत्र,
अचानक से इनके साथ ही,मेरे हाथ आ गए…
कांच से भी ज्यादा मेरे हाथ में चुभने वाले।
तुम्हें भेजे हुए मेरे आखिरी खत के टुकड़े,
अपने सबसे पंसदीदा संदूक में रखे है मैंने।
मेरे सारे टूटे हुए ख्वाब…
कि बहुत कुछ होता है ज़िन्दगी में जिसे,
टूट जाने पर भी सहेज कर रखना होता है,
किसी महबूब के टूटे हुए वादे की तरह…॥
#वर्षा चतुर्वेदी
परिचय: बोलने और लिखने में बेबाकी के लिए पहचानी जाने वाली वर्षा चतुर्वेदी दतिया( मध्यप्रदेश)से ताल्लुक रखती हैं। १९८९ में जन्म हुआ है। आपने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से एमबीए (वित्त प्रशासन) किया है। अलग-अलग मुद्दों पर कलम उकेरना आपको पसंद है।
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