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मन में भाव आते हैं तो लिखता हूं।
दिल में दर्द होता है तो लिखता हूं।।
किसी का कुछ न लेता हूं न बिगाड़ता हूं।
केवल अपने उदगारो तो मैं लिखता हूं।।
दीवार के सहारे खड़ा हूं तेरा क्या लेता हूं।
केवल अपने दिल की तपिश बुझा लेता हूं।।
तू प्यार का पानी पिला न पिला मुझको।
अपने प्यार की प्यास तो मै बुझा लेता हूं।।
ये जिंदगी तेरे हवाले कर दी है मैंने।
सब कुछ लुटाकर तुझे पाया है मैंने।।
ये एहसान मान न मान तू मेरा अब।
तू कुछ भी कर ये तुझ पर छोड़ा है मैंने।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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