मेरी मोहब्बत को मेरी चाहत को
उसने ऐन वक्त पर नामंजूर कर दिया
कभी अपना बनाने की कसमें खाई देखो आज उसी ने
मुझे खुदसे दूर कर दिया
दर्द आसूँ सितम खामोशी से हमने सहे
इन सब जख्मों को देकर भी
मुझे बेवफा से मशहूर कर दिया
यूँ तू हसरत मेरी भी थी कि तेरे वास्ते जियूँ
आया दौर तो तन्हा जीने को मजबूर कर दिया
कभी चमक थी रोशनी थी आफताब था चेहरा मेरा
तेरी यादों ने इसे भी बेनूर कर दिया
कुछ कमीं नहीं रखी दर्द देने में तुमने
मेरे दिल की दर ओ दीवारों को भी दर्द ए मौसम से भरपूर कर दिया
सजाए थे ख्वाब मैंने तेरी ख्वाहिशों में अक्सर
तेरे बदलने के अंदाज ने उन्हें भी चकनाचूर कर दिया
#नीतेश उपाध्याय
परिचय-
नाम- नीतेश उपाध्याय
साहित्यिक उपनाम- लेखक नीतेश उपाध्यायराज्य- मध्यप्रदेश
शहर- दमोह
शिक्षा- स्नातक बी.एस.सी
कार्यक्षेत्र- शिक्षक एवं निर्देशक स्कूल के
विधा – काव्य एवं गीत
प्रकाशन- काव्य रंगोली पत्रिका में कविता,एवं devastro.in पर कविता का प्रकाशनसम्मान- जीवन साहित्य से सम्मान, अखिल भारती से सम्मानित काव्य क्षेत्र में
अन्य उपलब्धियाँ- कविताओ एवं खेल क्षेत्र में
लेखन का उद्देश्य- सामाजिक सुधार एवं उत्साही जीवन पर लक्ष्य।