हर हृदय में बहती रहती
नित प्रेम की निर्मल धारा,
है विश्व कुटुंब में सर्वोपरि
भारत गणतंत्र हमारा,
ये जननी जन्मभूमि अपनी
है स्वाभिमान हमारा,
जहाँ सर्वधर्म समभाव रहा
सदा मानवता धर्म हमारा,
हो विकट परिस्थिति कितनी भी
हो विषम समय की धारा,
है वतन पर अपने मिटने का
स्वर्णिम इतिहास हमारा,
जहाँ गंगा, जमुना और सरस्वती
नदियाँ ही नहीं, सभ्यता हैं,
और विश्व में भाईचारा है
पावन संकल्प हमारा,
जहाँ लहर-लहर लहराता है
हर ओर तिरंगा प्यारा,
है देश हमारा विश्वगुरु
हम सबकी आँख का तारा…..
#कीर्ति श्रीवास्तव
गोमती नगर, लखनऊ