योगगुरु पूज्य स्वामी रामदेव जी ने किया शताब्दी वर्ष का प्रतीक विमोचित

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हिन्दी कवि सम्मेलन की सौ साल की यात्रा को मातृभाषा लाएगा जनमानस की बीच

इन्दौर। भारत में हिन्दी कवि सम्मेलन का आरंभ सौ वर्ष पूर्व हुआ था। इस वर्ष कवि सम्मेलन का शताब्दी वर्ष है। शताब्दी वर्ष की स्मृति को जनमानस से जोड़ने के उद्देश्य से मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा कवि सम्मेलन शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है, जिसके प्रतीक चिह्न का लोकार्पण आज योगगुरु पूज्य स्वामी रामदेव जी ने किया। इस अवसर पर योग प्रचारक प्रकल्प के प्रमुख स्वामी विदेह देव जी मौजूद रहे।

योगगुरु स्वामी रामदेव जी ने मातृभाषा उन्नयन संस्थान को आशीर्वाद देते हुए कहा कि ‘हिन्दी कविता ने राष्ट्र जागरण का कार्य किया है। इस शताब्दी वर्ष में कवि सम्मेलन का गौरव जन-जन तक पहुँचे और सम्पूर्ण भारत ही नहीं अपितु विश्व भी शताब्दी वर्ष से जुड़कर कविता और हिन्दी का जयघोष करे।’

संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने बताया कि ‘शताब्दी महोत्सव में मातृभाषा उन्नयन संस्थान राष्ट्रव्यापी सभी संस्थाओं, आयोजकों व समूह को साथ जोड़कर हिन्दी कवि सम्मेलन शताब्दी वर्ष को देश के विभिन्न प्रांतों, नगरों से जोड़ेगा एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा मिलकर सैंकड़ो उत्सव, प्रतियोगिताएँ, कवि सम्मेलन, सम्मान समारोह, काव्य उत्सव, विद्यालयीन-महाविद्यालयीन प्रतियोगिता इत्यादि आयोजित होंगे।’

ज्ञात हो कि हिन्दी कवि सम्मेलन का शताब्दी वर्ष अक्टूबर 2022 से आरंभ होगा। चूँकि ‘गयाप्रसाद सनेही जी’ द्वारा पहला हिन्दी कवि सम्मेलन 1923 में कानपुर में आयोजित किया गया था, उसी के अनुसार वर्ष 2023 में सौ वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। मातृभाषा उन्नयन संस्थान व इसके साथ देश की सैंकड़ो संस्थाएँ मिलकर शताब्दी वर्ष मनायेंगे। लोगो का डिजाइन जलज व्यास ने किया।

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भावना शर्मा, नितेश गुप्ता, सपन जैन काकड़ीवाला, प्रेम मंगल, कवि गौरव साक्षी सहित प्रदेश अध्यक्ष, अमित मौलिक (मध्यप्रदेश), नरेंद्रपाल जैन (राजस्थान), चंद्रमणि मणिका (दिल्ली), श्रीमन्नारायण चारि विराट (तेलंगाना), रश्मिलता मिश्रा (छत्तीसगढ़), मुकेश तांतेड़ (कर्नाटक), धीरज अग्रवाल (उड़ीसा), नसरीन अली निधि (कश्मीर), जलज व्यास, अंशुल व्यास आदि ने सहभाग करते हुए कवि सम्मेलन शताब्दी वर्ष को देशभर में आयोजित करने का संकल्प लिया।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।