0
0
Read Time38 Second
शाम को रक्कासा के पग में जब पैंजनिया सजती हैं,
और दौराने रक्स वो कैसी छम छम छम सी बजती हैं।
तब मयकश है नोट लुटाते,वाह वाह वाह कहकर,
और वासनामय नजरों में हुस्न को सारा ही भरकर।
मैंने पूछा रोज क्यूं इनके विष दंतों को सहती हो,
रोज़ शाम को शमा की तरह तिलतिल कर गलती हो।
तभी एक छोटा बच्चा आ उससे माँ-माँ कहकर लिपट गया,
क्षण भर में मेरे सारे प्रश्नों का उत्तर मुझको वो दे गया।
#सन्तोष बाजपेई
Post Views:
414