‘मुट्ठी में आसमान’ अर्चना पांडेय की पुस्तक समीक्षा

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सकारात्मक सोच से उद्बुद्ध , पूरे विश्व में खुशहाली प्रसारित करते विचारों से पूरित, सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करती, कवयित्री- डॉ. अर्चना ‘अर्चि’ की कविताओं की बगिया, जिसकी हर कविता रूपी कली अपने सौंदर्य और सुगन्ध से पूरे विश्व को आल्हादित करते हुए, प्रस्फुटित होने के लिए तत्पर है। ‘मुट्ठी में आसमान’ कवयित्री अर्चना ‘अर्चि’ जी की ऐसी ही कृति है जिसमें सम्पूर्ण विश्व से शत्रुता का भाव हटाकर, सबको अपना समझकर, सद्भावों के शब्द रूपी बीज बोकर एक ऐसे विश्व की कल्पना की गई है जहाँ चहुँ ओर निरन्तर प्रेम ही प्रेम की वर्षा हो रही है। इनकी रचनाओं में हर प्राणी के लिए सद्भाव से परिपूर्ण होकर सद्कार्यों में संलग्न रहने की उत्कंठा है। कवयित्री के दिव्यचक्षु अपने भीतर और बाहर चारों ओर जर्रे-जर्रे में सकारात्मक ऊर्जा के ही दर्शन करने की लालसा रखते हैं, जिसकी दिव्य झाँकी से कवयित्री का अंतःकरण तृप्त होता रहता है और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण शब्दों की रचना करने में सक्षम हो पाता है। कवयित्री का मानना है कि बाहर चाहे कैसी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न हों हम उनसे स्वयं को प्रभावित किए बिना उनमें से भी सकारात्मकता के मोती चुन सकते हैं। बस जरूरत है स्वयं के दृष्टिकोण को सकारात्मक सोच से भरते रहने की। इनकी रचनाएँ निश्चित ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भाव को प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह पुस्तक अमेजन में उपलब्ध है तथा विश्व भर के पाठकों द्वारा पढ़ी और पसंद की जा रही है। ज्ञात हो कि कवयित्री -डॉ. अर्चना पांडेय अर्चि हिंददेश परिवार नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था की संस्थापिका और अध्यक्षा हैं। इस संस्था में ईश्वर द्वारा रची गई खूबसूरत सृष्टि के संरक्षण हेतु कार्य किए जाते हैं। साहित्य के माध्यम से संसार को सुंदर और खुशहाल बनाना इस संस्था का मूल उद्देश्य है।यही उद्देश्य इनकी रचनाओं में परिलक्षित होता है। निरन्तर इसी तरह के सृजन की आशा के साथ
डॉ. माधुरी भट्ट, शिक्षिका, रेकी चिकित्सिका एवं समाज सेवी,सलाहकार हिंददेश परिवार संस्था
पटना (बिहार)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।