जिसने किया अहंकार,
उसका हुआ ना बेड़ापार।
उसके हिस्से में आए,
सदा दुःखों के अम्बार।
हमसे बंधे हैं जो रिश्ते प्यारे,
उनके लिए हैं कुछ फर्ज हमारे।
हाय करना उनसे सदा प्यार,
ना करना उनसे तकरार।
मिलेंगे तुझको भी सदा,
खुशियों के उपहार।
जिसने किया……..
दौलत शौहरत पे ना इतराना,
गलती से किसी का दिल ना दुखाना।
हाय जब टूटेंगे दुःखों के पहाड़,
करेगा ना कोई एतबार।
पछताना होगा किये पे,
तुझको मेरे यार।
जिसने किया……..
अहंकार जिसने किया मेरे भाई,
उसने लंका खुद ही ढाई।
हाय रावण हो या मामा कंस,
झेला बर्बादी का दंश।
यदि चाहो भलाई तो,
त्यागो अहंकार।
जिसने किया……..
दान, दया धर्म बड़ा है,
इसके ही दम पे जग ये खड़ा है।
हाय मानवता से नाता जोड़,
ईर्ष्या ,द्वेष, लालच छोड़।
भव सागर से हो जाएगा,
तेरा भी उद्धार।
जिसने किया……..
स्वरचित
सपना (स० अ०)
प्रा०वि०-उजीतीपुर
वि०ख०-भाग्यनगर
जनपद – औरैया