ये दिल कमवक्त किसी
न किसी पर आ जाता है।
भले ही सामने वाला
इसे पसंद करे न करे।
पर ये दिल उन्हें देखकर
बहक ही जाता है।
और मोहब्बत का बीज
यही से अंकुरित होता है।।
दिलकी पीड़ा सहकर
गीतकार बन गया।
मेहबूब को फूल भेजकर
उसके आशिक बन गये।
खोल दिया दिलका द्वार
उस मेहबूब के लिए।
जिसके आने का इंतजार
मानो वर्षो से कर रहे।।
हो जिसका दिल खाली तो
इस न चीज को याद करे।
अपने दिलके कोने में
कुछ तो हमें जगह दे।
और हो अगर मोहब्बत तो
भेजकर फूल इजहार करे।
और अपनी मोहब्बत की
शुरुआत स्नेहप्यार से करे।।
अब तक तो दिल बेकरार है।
किसी दिलवाली का इंतजार है।
खाली न जाए ये सावन
मेहबूब के बिना इस बार का।
और दिल के बाग में खिला दे
अपनी मोहब्बत का कमल।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन “बीना” मुंबई