#प्रो. विनोद कुमार मिश्र
वर्धा |
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में `हिंदी दिवस` समारोह में विश्व हिंदी सचिवालय(मॉरिशस) के महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि,हिंदी विश्व मन की भाषा बन चुकी है। हिंदी के विकास में सभी भारतीय भाषाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी को सोशल मीडिया से जोड़कर तकनीकी की भाषा बनाना जरूरी है।
गुरुवार १४ सितंबर को गालिब सभागार में हिंदी दिवस समारोह प्रतिकुलपति प्रो. आनंदवर्धन शर्मा की अध्यक्षता में किया गया। समारोह में साहित्य विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रो. कृष्णकुमार सिंह,कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान मंचासीन थे। बतौर मुख्य अतिथि प्रो. मिश्र ने कहा कि,विश्वभर के अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। हिंदी का बाजार बढ़ रहा है। सच मानें तो आज हिंदी के अच्छे दिन आए हैं। उन्होंने अंग्रेजी भाषा के हवाले से कहा कि,यह मालिक की भाषा है,जिसे हम चला रहे हैं,परंतु विश्व के अनेक देशों में अंग्रेजी से भी काम नहीं चल सकता। अपनी-अपनी भाषाओं में ही ज्ञान भरा पड़ा है। उन्होंने माना कि प्रतिरोध,ज्ञान और विकल्प की भाषा बनाने के लिए सभी को उपलब्ध तकनीक और संसाधनों का उपयोग करने की आदत डालनी चाहिए। हिंदी को धार्मिकता से कार्मिकता की भाषा बनाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। भारतवंशी और हिंदी फिल्मों का हिंदी के प्रति योगदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पढ़ने,लिखने लायक साहित्य होगा तो भाषाएं जीवंत रह सकेंगी। उन्होंने हिंदी को रोज़गार से जोड़ते हुए कहा कि देश और दुनिया में अनुवाद के रूप में हिंदी दायरा बढ़ रहा है। हमें बाजार का रूख देखकर हिंदी को लाल कपड़े से बाहर निकालना होगा। उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय की ओर से हिंदी के इतिहास लेखन की परियोजना और अन्य उपक्रमों की जानकारी अपने वक्तव्य में दी।
अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. आनंदवर्धन शर्मा ने हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अनेक हिंदी धारावाहिक यूरोपीय देशों में देखे जा रहे हैं और चर्चित भी हैं। हिंदी फिल्में तो दुनियाभर में मशहूर है। उन्होंने हिंदी को लेकर कविताओं का पाठ भी किया। स्वागत वक्तव्य प्रो. कृष्णकुमार सिंह ने दिया। हिंदी अधिकारी राजेश यादव ने इस समारोह का संचालन कियाl धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव ने दिया। इस अवसर पर अध्यापक,अधिकारी एवं विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
(आभार-वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)