पक्षियों की प्यास बुझाने पर्यावरण प्रेमी मुकेश काले ने घर की छत पर बनाया पक्षी घर और मिनी गार्डन

3 0
Read Time3 Minute, 44 Second

गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है, मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है, हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग पानी पिला देते हैं तो कुछ लोग भगा भी देते है।गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आस पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है। ऐसे ही कुछ प्रयास किया है खंडवा के दादाजी वार्ड निवासी मुकेश काले द्वारा उन्होंने अपने घर की छत पर एक लोहे के  एंगल पर पक्षी घर बनवाया और उसमें दाना पानी रखने हेतु सुविधा की छत में भी पानी की व्यवस्था की, छायादार जगह बनाकर वहां पानी के बर्तन भर कर रखें। पक्षियों के लिए चना, चावल, ज्वार, गेंहूं आदि जो भी घर में उपलब्ध हो उस चारे की व्यवस्था छत पर की गई।जिससे भूख प्यास से भटक रहे पक्षी उसमे आराम से बैठ कर अपनी भूख और प्यास मिटा सकें । साथ ही घर की छत पर मिनी गार्डन बना रखा है। जिसका नाम मन गार्डन रखा है साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे लगा रखे है जिससे पक्षियों को उनके घर जैसा एहसाह हो और वह वहां अपना घोंसला भी बना सके।मुकेश काले ने बताया कि सभी लोगो को गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए लोगों को प्रयास करना चाहिएउन्होंने कहा की सुबह आंखें खुलते ही  घर की छत पर और आस-पास गौरेया, मैना व अन्य पक्षियों की चहक  मन को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बच्चों सहित बड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें।   मनुष्य के साथ-साथ सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर रख लेता है, लेकिन परिंदे व पशुओं को तपती गर्मी में यहां-वहां पानी के लिए भटकना पड़ता है। पानी न मिले तो पक्षी बेहोश होकर गिर पड़ते हैं। इश्लिये अपने घर की छत पर बर्ड हाउस बनाने का विचार आया में और मेरी पत्नी पूर्णिमा काले और मेरे पुत्र आदित्य अथर्व पूरे परिवार ध्यान रखते है। कितने ही चिड़ियों और कबूतरों ने यह अपना घोंसला भी बना रखा है। 
मुकेश काले ने और लोगो से भी अपील की है कि वह भी अपने घरों में इस तरह की व्यवस्था करे नही कर सकते तो घरों के बाहर पानी के बर्तन भरकर टांगें, या बड़ा बर्तन अथवा कटोरा पानी भरकर रखें, जिससे मवेशी व परिंदे पानी देखकर आकर्षित होते हैं।

matruadmin

Next Post

अनायास ही मन हुआ मधुमास

Mon Jun 7 , 2021
स्वभाव से हर व्यक्ति एक गीतकार होता है। जैसा कि कवि भर्तृहरि ने लिखा है कि “साहित्य संगीत कला विहीनः, साक्षात् पशु पुच्छ विषाण हीनः। तृणं न खादन्नपि जीवमानः, तद्भागदेयं परम पशुनाम्।।” हर मनुष्य में एक स्वाभाविक कवि बसता है, एक कलाकार रहता है, एक संगीतज्ञ तान छेड़ता है। यह […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।