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कलम जब संस्कार उगलती
दुनिया को वह राह दिखातीं
परमात्म लीला का रूप यह
जो अच्छा हर रोज लिखवाती
बिन थके, बिन रुके चलती
अच्छी अच्छी बाते लिखती
सीखते हम रोज़ कलम से
दूर रहते हम अभिमान भ्रम से
अकिंचन बन चले सदराह
भले लोग ही हो हमराह
जो मान मिला वह सबका है
मेरा नही मेरे रब का है
रब मुझको एक वरदान दे दे
विश्व शांति की सौगात दे दे
कोई बीमार न रहे जगत मे
दुनिया में सबको स्वस्थ कर दे।
#श्रीगोपाल नारसन
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