मां पन्नाधाय चालीसा

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धन-धन बेटी गूजरी,माता पन्ना धाय।
बेटा का बलिदान दे,मेवाड़ राज बचाय।।

जबजब विपदा धरतीआई।
नारी देवी रूप बनाई।।1
आठ मार्च सन चौदह नब्बे।
जनमी पन्ना बनके अम्बे।।2
हरचंद सुता ग्राम पंडोली ।
सुंदर रूपा मीठी बोली।।3
दूध दही का भोजन करती।
खेली लाठी कुश्ती लड़ती।।4
समय पाय जब भइ तरुणाई।
सूरजमल संग ब्याह रचाई।।5
शुभ घड़ियां जब घर में आई।
भारी पांव से जी मचलाई।।6
जीवा एक गरभ में आया।
अपने लहु से उसे बनाया।।7
थोड़े दिन में खुशियां छाई।
सुंदर बेटा भै सुखदाई।।8
नटखट बालक चंदन तेरा।
बार बार है वंदन मेरा।।9
गांव कमेरी माता पन्ना।
धाय मिवाड़ी हो गइ धन्या।।10
धीर साहसी राणा सांगा।
देख वीरता लोधी भागा।।11
करमवती से दो सुत जाए।
विक्रम उदया नाम धराए।।12
रानी करमा स्वर्ग सिधारी।
उदया पन्ना झोली डारी।13
पाला पोषा दूध पिलाया।
लेकर गोदी उसे खिलाया।।14
लल्ला राजा बोल बुलाया।।
राज मेवाड़ तुम्ही बचाया।।15
उस बेटा की बनी खिलौना।
रोज बनाती रूप सलोना।।16
कुंवर राज की रक्षा कारी।
माता पन्ना तुम बलिहारी।।17
बनबीरा बन अत्याचारी।
विक्रमसिंह को मार कटारी।।18
लथपथ खूनी गद्दी पाई।
फिर उदया की बारी आई।।19
एक सिपाही उसने भेजा।
धाय मात का कांप कलेजा।।20
वीर शेरनी किया प्रहारा।
भागा सैनिक राम पुकारा।।21
सुनत बनवीर क्रोध दिखाया।
ले तलवारें वह खुद आया।।22
विवश होय माता घबराई।
तुरत उदय को लिया उठाई।।23
गाल चूम के गले लगाई।
उसी जगह चंदन सुलवाया।।24
माला पगड़ी तिलक लगाया।।
आंसू उसके एक न आया।।25
सारे कोने थर थर कांपे।
फिरभी मां को मोह न व्यापे।।26
महल दिवारें रोय झरोखे।
बरसें आंसू गीली आंखें।।27
फिर माता ने किया इशारा।
सुत चंदन काटा तलवारा।।28
बालक तड़प खून पिचकारी।
राष्ट्रहित में ममता मारी।।29
बांस टोकरी तुरत मंगाई।
जिसमें राजा कुंवर बिठाई।।30
ऊपर पत्तल से ढंकवाया।
महलछोड़ कुंभल भिजवाया।31
किलेदार आशादे भारी।
मान भानजा रक्षा धारी।।32
तेरह बरस के भै कुमारा।
फिर बुलवाये सब सरदारा।।33
उदयसिंंह बने महाराणा।
मार बनवीर बसे ठिकाना।।34
उदय पुर है राजस्थानी।
साहस करुणा वीर कहानी।।35
त्याग मूरती तू बलिदानी।
माता तेरी अकथ कहानी।।36
भूख प्यास को भी तुमसहती ।
संतानों की खातिर मरती।।37
दुखद जिंदगी धूपों जैसी।
सुख संतोषी शांति कैसी।।38
हे जगरानी तू कल्याणी।
करुण कहानी आंखों पानी।।39
मां भारत फौजिन की माता।
तुमको भी मैं शीश झुकाता।।40

पंद्रह बैयालीस में, उदय बने महराज।
पन्ना वचन पूर्ण हुआ, दुनिया गाती आज।।

डॉ दशरथ मसानिया
आगर मालवा म प्र

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