क्योकि हम तो आधुनिक है…

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अरे! क्या कहा नवरात्रि आ रही है तो क्या हुआ हमे क्या लेना -देना हम तो बस इंजॉय करेंगे।
इतना इंजॉय करें की भगवान को ही भूल जाएंगे,
वैसे भी क्या है ? यह सब संस्कार, संस्कृति ,आदर्श, सभ्यता क्या मतलब भाई इन सब से हमे ,हम तो बस इंजॉय करेंगे।

इसलिए नहीं कि हम आधुनिक है इसलिए की हमे दिखाना है हम आधुनिक है….

क्या फर्क पड़ता है अगर हमें नव दुर्गा के 9 नाम नहीं पता क्या फर्क पड़ता है अब हम गरबो पर फ़िल्मी गीतों पर नाचते है और क्यों नहीं नाचेंगे , जरूर नाचेंगे क्योकि हम तो आधुनिक है… और हमे दुर्गा माँ से और उनकी आराधना से क्या मतलब हम तो इंजॉय करेंगे। क्यों न करें तुम होते कौन हो हमे समझने वालें हम तो करेंगे।

क्योकि हम तो आधुनिक है…

और आप यूँही गणपति जी की बात करते हो साहब क्या है यह सब हम तो बस एक मूर्ति ले आएंगे 10 दस बेबी डॉल , चार बोटल वोडका , कमरिया लचके डांस करेंगे और फिर किसी नदी नाले में मूर्ति को बहा कर उसे भव्य विसर्जन का नाम दे देंगे खैर छोडो हमे क्या लेना देना भगवान से हम तो आधुनिक है…

और आज के दौर में कहाँ किसी को जज करने की जरूरत है सब अपने अपने लक्षण दिखा देते है।
किसी की वेशभूषा पर टिप्पणी करने का किसी को कोई हक़ नहीं हमारा मन जैसा हो हम वैसा पहने , हम वो पहने अरे ! जो करना है वो करेंगे।

क्योकि हम तो आधुनिक है….

खैर छोडो नवरात्री आ रही है, रुको – रुको !, सॉरी -सॉरी ! गरबा आ रहा है हम तो 9 दिन एंजॉयमेंट करेंगे । दुर्गा माँ ! उनका क्या है उनके तो बहुत भक्त है हम तो इंजॉय करेंगे।

क्योंकि हम तो आधुनिक है…

पूजा , भगवान वगेरा में क्या रखा है साहब ?
हाँ पांडाल में 10 मिनीट की आरती करनी है ,फोर्मिलिटी हैं यार यह सब तो पूरा कर देंगे। उसके बाद तो सारी रात अपनी हैं। छोडो यह संस्कार , यह आदर्शवादी बातें साल में एक ही बार तो गरबा आता है।

फिर कहाँ यह फ़ालतू के काम करेंगे और रही बात पूजा , अर्चना , आरती , आराधना , श्रद्धा , दीपक , प्रसाद और उत्सव की तो इन सब के चक्कर में कहा पड़ना अरे! हम तो dj बजाएंगे यह सब तो वैसे ही आ जाएंगे।

खैर जो भी हो जैसा भी हो हम तो सिर्फ एंजॉयमेंट करेंगे।

क्योकि हम तो आधुनिक है….

  #दीपेश पालीवाल

परिचय : दीपेश पालीवाल वर्तमान में बी.ए. के विद्यार्थी हैं। उदयपुर (राजस्थान)की झाड़ोल तहसील के गोगला गांव के निवासी हैं। कविता लिखने के साथ ही मंच संचालन करते हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।