भाषा एक ऐसा माध्यम है, जो समाज के हर वर्ग को आपस में जोड़ कर रखती है। यह युवा पीढी और समाज के अनुभवी एवं वरिष्ठ नागरिकों के मध्य संपर्क और संवाद का अभिन्न सत्रोत है। हर वर्ग की अपनी सोच ,अपने पहलू भिन्न हो सकते हैं, फिर भी संवाद के लिए उपयोग में आने वाली भाषाओ मे हिंदी अग्रणी है।
वर्तमान परिपेक्ष्य में युवा पीढ़ी हमारे देश का भविष्य है, पर थोड़ा दिग्भ्रमित होती हैं, जब भी बात होती है भाषा के चयन की। हम ऐसे कई युवाओ को जानते हैं जो कोई भी जानकारी प्रेषित करना होता है तो अंग्रेजी और हिंदी में से किसे चुने यह निर्णय नहीं ले पाते हैं। यद्यपि उनके लिए यह सबसे कठिन कार्य नहीं होता है।
समय-समय पर ऐसे युवा हुए हैं,जो हम सब के आदर्श बने हैं। यहां हम किसी एक को श्रेय नहीं दे सकते, हिंदी भाषा के विस्तार के लिए हमारे युवा साथी कई प्रकार से प्रयासरत हैं।
हिंदी पत्रकारिता भी राष्ट्रीय आंदोलनों का प्रमुख माध्यम बन चुका है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, हिंदी भाषा हमेशा से जनमानस के ह्रदय तक सद्विचारों को पहुंचाने का सबसे सरल माध्यम रही है।आज के परिपेक्ष्य में युवा साथी लेखन में अपनी साख स्थापित कर चुके हैं।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियां, योजनाओं, विदेशी व्यापार नीति और कर्तव्यों की परिवहन का ब्यौरा भी हमें हिंदी भाषा में उपलब्ध कराया जाता है। सोशल मीडिया पर भी हिंदी भाषा युवाओं की पहली पसंद बनती जा रही है।
हिंदी हमारी मातृभाषा है जिसे हम हृदय से अपना भी चुके हैं ।तत्कालिक परिस्थितियों के अनुसार पत्रकार राजनीति सामाजिक या फिर धार्मिक विषयों से जुड़ी हुई बहस या बहस के मुद्दे भी उजागर करते हैं। निष्पक्ष रहते हुए पत्रकारिता जैसा कार्य करना बहुत कठिन प्रतीत होता है।
हालांकि हिंदी साहित्य में लिखे हुए हर तथ्य का विश्लेषण हम आसानी से पा सकते हैं। वही हर जानकारी को विस्तृत रूप से,रोचक तथ्य के रूप में प्रेषित करते हैं।
युवा वर्ग जो कि हिंदी भाषा के विस्तार के प्रति निष्ठावान हैं। हम उनका आह्वाहन करते हैं, कि आगे बढ़ते रहें और अपनी मातृभाषा को प्रथम स्थान दिलाएं।
ऋचा दिनेश तिवारी
देवास, मध्यप्रदेश