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स्वहित को भूलकर
परहित रखिए ध्यान
जीवन के हर मोड़ पर
स्वयं को निमित्त जान
करने वाला कोई ओर है
फिर कैसा अभिमान
हम तो केवल कठपुतली
नचाता हमे भगवान
झूठ फरेब किस काम के
सिर पर चढ़ता पाप
जब करनी का दंड मिले
अकेला करे सन्ताप।
#श्रीगोपाल नारसन
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