होली की यादें

0 0
Read Time4 Minute, 14 Second

होली को त्यौहार मानाने का हर का प्रदेश शहर और गाँवो अपना अपना तरीका है। आज मैं अपने शहर की होली का बारे में याद कर रहा हूँ।
मध्यप्रदेश के बीना शहर में होली का त्यौहार मनाने का अपना अलग ही तरीका है। यहाँ पर वैसे तो पांचो दिन होली खेली जाती है, परंतु रंग पंचमी के दिन की होली खेलने का अलग ही अंदाज होता है। सुबह से होली खेलना शुरू होता है जिसने पुरुष महिलाएं लड़कियाँ लड़के सभी अपनी अपनी टोली बनाकर बैंड बाजो और दोलक नगड़ो के साथ नाचते गाते २ बजे तक रंग की होली खेली जाती है और फिर सारे हौयारे एक साथ मिलकर मुर्ख सम्मलेन का आयोजन करते है और मुर्ख लोगों की झांकी को पूरे शहर में घूमकर फिर मुर्ख सम्मेलन होता है और इसमें एक से बढाकर मुर्ख लोग अपनी अपनी कवितायें गीत शयारी सभी मूर्ख भाई बहिनों को सुनाते है और अपने आप को सब से बड़ा मुर्ख बताने की होड़ करते हैं। नगर के लोगों को उनके कार्य के अनुसार टाइटल देते हैं। सभी जाती धर्म और मजहव के लोग बिना किसी बुराई के ये त्यौहार बड़े प्रेम भाव के साथ मानते है। इस शहर की एक और विशेषता है की यहाँ पर हिन्दू , मुसलिम, इसाई, सभी लोग ये त्यौहार बड़े ही आनंद के साथ मानते है जो अपने आप में बहुत बड़ी मिशायल है। इस दिन तो पूरे शहर में सिर्फ एक ही काम चलता है और वो है बुरा न मानो होली है और होली है। वैसे तो बीना नगर आपने आप में काफी लोग प्रिये रहा है कई चीजो के लिए। यहाँ का मुर्ख सम्मेलन,नव रात्रि में मारुती मंदिर का अखिल भारतीय कवि सम्मलेन, बच्चों का बाल मेला, कह कहो की रात आदि काफी प्रसिद्द है साथ ही बीना का गणेश उत्सव भी काफी प्रसिद्द है। अनंत चौदहस पर चल समाहारो नर्सिंग अखाड़े के साथ काफी आनंदमय लगता है लेजम की झंकार और धड़ की थप जब बजती है तो सारा जन समुदाय झूम उठता और नाचने गाने लगता है। अमन और शांति के साथ यहाँ पर सभी समुदाय के लोग बाद चढ़ कर हर त्यौहारो में भाग्य लेते है। वैसे तो बीना कृषि प्रधान तहसील है पर समय के साथ काफी प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है। मै आज भले ही बीना की होली में शामिल नहीं हो पा रहा हूँ, परन्तु मैं वो सब यादो को होली के साथ मेहसूस कर रहा हूँ। भले ही मैं आज अपने शहर से दूर हूँ पर उसकी यादे आज भी मेरे साथ है। सभी पाठको को होली की शुभ कामनाएं पूर्व में लेख के साथ दे रहा हूँ।

कभी हम वहां हुआ करते थे।
होली खेलते हुए अपनो के संग।
कितना स्नेह प्यार झालाता था।
एक दूसरे के प्रति हम सभी का।
पर अब सिर्फ यादें बनकर ह्रदय में जिंदा है।
इस ऊँची ऊँची और बिन बोलती इमारतों के शहर में।
जहाँ न कोई अपना है और न ही अपनेपन का।
दिलमें स्नेह प्यार और आत्मीयता है।
बस सुबह से लेकर शाम तक और रात से लेकर सुबह तक।
सिर्फ काम ही काम है।
बस बड़े शहरो में यही सब अब रह गया है।
इंसान एक पैसे कमाने की मशीन बन गया है।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई

matruadmin

Next Post

स्वयं से स्वयं की परिचर्चा !

Thu Mar 25 , 2021
खेत में पानी आ चुका था, क्योंकि दूध से सफेद बगुले फर्र-फर्र करके आने लगे थे, ठीक वैसे ही जैसे भारतीय नेता फक्क सफेद कुर्ता पहनकर चुनावी मैदान में कूद पड़ते हैं । मैं कंधे पर फावड़ा रखे सरपट खेत की मेड पर चला जा रहा था कि पीछे से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।