
जमाना कितना बदल गया
आम इंसान के लिए।
जिसमें पीसे जा रहा है
आज का आम इंसान।
शारीरिक और मनासिक
रोगों से इंसान ग्रस्त है।
घर में बीबी बच्चों की
दफ़्तर में अधिकारी की चिक-2।
रोज सुन सुनकर कितना
परेशान हो जाता है इंसान।।
जमाना कितना बदल गया
जिसमें पीस रहा इंसान।।
घर में होते हुये भी
घर में मन नहीं होता।
दफ़्तर में होकर भी वो
दफ़्तर में नहीं होता।
सच मानो तो उसका दिल
दुनियां में नहीं लग रहा है।
क्योंकि परेशान परेशान सा
अब वो रहने जो लगा है।।
भाग दौड़ की जिंदगी में
प्यार के लिए तरास्ता है।
पर उसकी स्थिति को
कोई नहीं समझता है।
थका हारा सा रहता है
और स्नेह के लिए तड़पता है।
ताकि उसे थोड़ा सा
सुकून मिल सके जिंदगी में।
क्या कुछ वो नहीं करता
अपने परिवार के लिए।
दिन रात पिस्ता रहता है
पैसे कमाने की चक्की में।।
सच कहे तो इंसान एक
मशीन बनकर रहा गया है।
सच में जमाना कितना अब
आम इंसानो के बदल गया।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)