नज़रिया

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नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

जिसको जैसी नजर से देखो,
वैसा ही नजर वो आता है।
यदि नारी में माँ ,बहना देखो,
तो पाप ना मन में आता है।

नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

गैरों को यदि अपना समझो,
सब अपना नजर फिर आता है।
अपने जब भी काम ना आएं,
तो गैर ही साथ निभाता है।

नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

मन में जब जब लालच आए,
मन स्वार्थ तब आता है।
झूठ, कपटता ,ईर्ष्या से फिर,
जल जल कर मर जाता है।

नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

मुश्किल का यदि हल खोजो,
तो हल जल्दी मिल जाता है।
मुश्किल से यदि हार मान लो,
तो सब कुछ हाथ से जाता है।

नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

बोया है जो कुछ जीवन में,
सबने वो ही काटा है।
कठिन परिश्रम और मेहनत से,
पर्वत पथ से हट जाता है।

नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

प्रेम, समर्पण और त्याग से,
सफल जीवन हो जाता है।
होता जूजून जिसके दिल में,
हर मंज़िल वो पाता है।

नजर बुरी ना होती यारों,
होता है बुरा नजरिया रे।

स्वरचित
सपना (स.अ.)
जनपद-औरैया

matruadmin

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