मैं क्या बोलू अपने बारे में।
क्योंकि खुद न जानू अपने बारे में।
लोग बहुत कुछ कहते है मेरे बारे में।
पर कभी कुछ बुरा नही सुना अपने बारे में।।
दिल को अब,
कैसे हम समझाए ।
वो मानता ही नही है।
और न ही जनता है ।
बस नाम, तेरा ही लेता है,
तेरा ही लेता है ।।
यार करू तो क्या करूँ ।
जो अपनी दोस्ती,
अमर हो जाये।
कोई तो बात है,
हम दोनों में ।
जो हम लोग,
कह नही सकते ।
पर दिलों में,
मेहसूस करते है।
अब मैं क्या इसे बोलू और क्या नाम दे
हम ।
खुद बता भी तो,
नही सकते यारो हम ।।
जब से तुमने,
अपना दोस्त बनाया है।
मेरी तो शैली,
ही बदल गई।
पहले लिखता था,
में कुछ भी।
अब तो सिर्फ तुम पर,
और,
तुम्हारी प्यारी दोस्ती
पर लिखता हूँ।
क्या नाम दू में इससे
अब ।
तुम खुद ही बता दो?
जो बात दिल में है,
उससे हमे बता दो।
तभी तो कुछ मैं बोलूंगा तुम को ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।