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तुम द्रष्टा बनकर रहना सीखो
विचलित कभी न होना सीखो
जो हो रहा है अच्छा हो रहा है
इस सत्य को स्वीकारना सीखो
दुःख सुख प्रारब्ध की देन है
आते जरूर येन केन प्रकारेण है
फिर दुःख सुख से घबराना कैसा
मन को अस्थिर करना कैसा
जो होना है वह होकर ही रहेगा
काल का पहिया घूमकर रहेगा
समय के साथ चलना सीखो
परमात्मा से योग लगाना सीखो।
#श्रीगोपाल नारसन
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