चिंतन सूत्र

0 0
Read Time2 Minute, 1 Second

अगर पैरो में हो चोट
साथ में हो छोटी सोच।
तो इंसान जिंदगी में
आगे नहीं बड़ सकेगा।
इसलिए दोनों का इलाज
इंसान के लिए जरूरी है।
जो डाक्टर के इलाज से और
खुदके आत्ममंथन से ठीक होगा।।

इंसान की पहिचान काम से होती है
इसलिए कर्म करना जरूरी है।
महंगे कपड़े तो दूकान के
पुतले भी पहनकर रखते है।
जो सिर्फ शो के लिए होते है।
इसलिए अपने जीवन को
शो की चीज न बनाये।
और अपने कार्यो से ही
स्वंय की पहचान बनाये।।

कमाया गया धन को
परिग्रह समझकर।
कुछ दान धर्म और
परोपकार में लगाओगें।
तो आपके परिणामों को
शांति मिल जायेगी।

स्वंय के स्वाध्याय से
आपको आत्मबोध होगा।
आत्मबोध से समाधि मिलेगी।
इसलिए नियमित स्वाध्याय
और आराधना करो।
तो मोक्षमार्ग को प्राप्त करोगे।।

जो कार्य तपस्या से भी
जिंदगी में नहीं हो सकता।
वह भावना से हो जाता है।
इसलिए भावों को निर्मल बनाये।
और अच्छी भावनाएं अपनी
आत्मा के अंदर भाये।।

यदि उपरोक्त सूत्रों को अपनी
जिंदगी का हिस्सा बनाओगे।
तो एक दिन निश्चित ही
मोक्ष गति को पाओगे।
और आपका आने वाला
भव भी सुधार जायेगा।
और आपका मानव जन्म
भी सफल हो जायेगा।।

हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर मेरी रचना आप सभी के लिए समर्पित है।
आप सभी को हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं और बधाई साथ ही आपसे अनुरोध है की हिंदी का प्रयोग करे और देश का नाम रोशन करे।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)

matruadmin

Next Post

अन्तर्राष्ट्रीय दिवस पर कार्यशाला सम्पन्न

Mon Jan 11 , 2021
आगरा । गत-दिवस को BWI  के सहयोग से होटल प्रिया के सभागार में फतेहाबाद रोड आगरा में असंगठित कर्मचारी यूनियन / उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन द्वारा ” अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक जागरूकता कार्यशाला ” का आयोजन किया गया । कार्यशाला में आगरा ग्रामीण विधायक श्रीमती हेमलता दिवाकर कुशवाह ने स्थानीय […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।