इतना ग़म ने भी मुझको मारा है।
हाय क़िस्मत को क्या ग़वारा है।।
चलते रहना तू सच की राहों में।
झूठ सच से सदा ही हारा है।।
कितने आरोप तुम लगा डालो।
मुझको सच का बड़ा सहारा है।।
कैसे नेताओं पे यक़ीन करुं।
खा लिया भैंस का भी चारा है।।
पाप अब कितना बढ़ गया देखो।
गंगा जल भी तो लगता खारा है।।
झूठ जीवन में मत कभी बोलो।
‘राज’ का आज यह ही नारा है।।
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
परिचय : मंच संचालन के शौकीन और माहिर कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’ ने एमए(राजनीति विज्ञान) और बीएसटीसी(जयपुर) की शिक्षा हासिल की है।२२ वर्ष के कृष्ण पिता कन्हैयालाल सैनी फूलों का व्यवसाय करते हैं। दौसा (जिला दौसा, राजस्थान) में रहने वाले कृष्ण की रुचि कविता,गजल,गीत,शायरी, मुक्तक,व्यंग्य लिखने में है।आपको भजन-कीर्तन सुनने का शौक है। इनकी साहित्यिक उपलब्धियों में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करने का और सम्मानित होने का सौभाग्य है तो ही, दौसा (राजस्थान) में हुए कवि सम्मेलन में भी काव्य पाठ कर लिया है। कई कवि सम्मेलन में काव्यपाठ एवं चंचरीक स्मृति सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं।