मेरी एक दुकान है,
जहाँ बनते इँसान हैं।
डॉक्टर-इंजीनियर या हो वकील,
जो भी चाहे मेरा दिल
पुलिस-सेठ या हो नेता
हर इँसान मैं बना लेता।
मैं जाति-भेद कभी न बढ़ाता,
जो भी आता उसे पढ़ाता
समानता की सीख देता,
हर बात श्यामपट पर लिख देता।
जिसकी रही भावना जैसी,
उसने ली शिक्षा भी वैसी
राजू-सलमा-रामदुलारी
आज हैं –बड़े अधिकारी।
हर अधिकारी मैंने बनाया,
लोग कहें-मैं बन नहीं पाया।।
#रामशर्मा ‘परिन्दा’
परिचय : रामेश्वर शर्मा (रामशर्मा ‘परिन्दा’)का परिचय यही है कि,मूल रुप से शासकीय सेवा में सहायक अध्यापक हैं,यानी बच्चों का भविष्य बनाते हैं। आप योगाश्रम ग्राम करोली मनावर (धार, म.प्र.) में रहते हैं। आपने एम.कॉम.और बी.एड.भी किया है |