औरों को जगह नही

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जब से तुम से नैन
हमने मिलाई है।
तब से गैरो को कोई
जगह दिलमें नहीं है।
इसलिए संभलकर रहने की
हमें नही तुमको जरूरत है।।

हमने तो दिल दे दिया है
अब उसे तुम्हे संभालना है।
जुवा से जो भी कहना है
वो तो आंखे व्या कर चुकी है।।

दिल का सुख चैन छीनकर
फिर भी मुस्करा रहे हो।
और अपने दिल की बाते
बताने से क्यों डर रहे हो।।

याद वो हमें करते है तभी।
हिचकियाँ हमें आती है।
और दिल फूलों की तरह
एक दम खिल जाता है।।

दिल तो आपका भी
कुछ कह रहा है।
दिल मेरा भी कुछ
सुन रहा है।
एहसास दोनों के
दिल को है।
बस इंतजार है कि
पहले कौन कहे।।

मोहब्बत और शिल्पकार का काम,
दोनों ही एक जैसे होते है।
जितना स्नेह प्यार तुम बहाओगें
उतनी ही मोहब्बत निखरेगी।
और जितना शिल्पी पत्थर को तरशेगा
उतनी ही मूर्ति खूबसूरत दिखेंगे।।

तभी तो तुम्हे देखकर आजकल
चांद भी शरमा रहा है।
और चांदनी से पूछता है
की दूसरा चांद ये कौन है।।

मिट्टी में हर किसी को
मिलना है एक दिन।
क्यों न रिश्तो में स्नेह प्यार
दिल से बनकर चले।
जब खाक में मिल जाएंगे
तो आपके रिश्ते और
काम याद आएंगे।।

अपनी मोहब्बत को एक बार
व्या करके तो देखो।
जो दिल में है जुवा पर
लाकर देखो
कसम है तुम्हारी जिंदगी
बिल्कुल बदल जाएगी।
और स्वर्ग का आनंद
तुम्हे पृथ्वी पर नजर आएगा।।

जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)

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