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आधुनिकता की होड़ में
संस्कार हो गए तार तार
माँ बन गई मोम हमारी
जीवित पिता डैड है यार
हाय हो गया अभिवादन
कैसी यह कलियुग की मार
परिवारिक रिश्ते गोण हो गए
अंकल,आंटी उदबोधन रह गए
धन दौलत ही पहचान बन गई
झूठ- दिखावा फैशन बन गई
सजाते अगर संस्कारो की दुनिया
बन जाती स्वर्णिम दुनिया।
#श्रीगोपाल नारसन
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