सृजन की भावनाओं का नवल संसार पुलकित हो।
विजय की प्रार्थना का रम्य पारावार पुलकित हो॥
अलक्षित प्रीति के बादल गगन की रागिनी के संग।
भिगोएं लक्ष्य के आंगन तो
हर घर द्वार पुलकित हो॥
शहीदों की प्रबल अनुपम विजय का गान पुलकित हो।
सभी वेदों व धर्मों से मिला संज्ञान पुलकित हो॥
भले ही प्रीति के संगीत पुलकित हों न हों लेकिन।
विजयध्वज गीत में व दिल में हिन्दुस्तान पुलकित हो॥
प्रभंजन रूप में था कल अरुण पर आज पुलकित हो।
स्वचर्चित भारती की शौर्यता का ताज पुलकित हो॥
प्रगति पथ पर निरंतर सौम्यता उज्ज्वल प्रखरता से।
समूचे विश्व में ‘जय हिंद’ की आवाज पुलकित हो॥
#शिखर अवस्थी
परिचय : शिखर अवस्थी उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर स्थित ग्राम कोरार में रहते हैं।