कवि हो ना तूम
तो लिखो ना
देश की व्यथा
जुल्मों की कथा
मंदी की मार
खत्म होते रोजगार
गरीबी की कहानी
बाढ का पानी
हिंसा की घटनाएं
दलितों पर यात्नाएं
धर्म के नाम अधर्म
संतों के नीच कर्म
बच्ची से बलात्कार
इंसाफ की चीख पुकार
शिक्षा का होता धंधा
कानून बहरा अंधा
दफ्तरों का बाजार
चिकित्सा का व्यापार
नेताओ की काव काव
न्यायालयो का मोलभाव
खेतो मे मरता किसान
सीमा पर उपेक्षित जवान
आखिर क्यूं नही
दिखाई देते तुम्हे
देश के
नाजुक हालात
की है कोई और बात
अरे सत्तापक्ष के गुलामो
दुम हिलाना बंद करो
आ जाये क्रांति समाज मे
ऐसा कुछ प्रबंध करो।
#संजय अश्क बालाघाटी