लव जिहाद के 170 मामलों की सूची भी की जारी
नई दिल्ली।
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने लव जिहाद से पीड़ित कन्याओं के द्वारा आत्महत्या, उनकी जिहादियों द्वारा निर्मम हत्या एवं दुर्दशा की बढ़ती हुई घटनाओं पर चिंता व आक्रोश व्यक्त करते हुए इस हेतु अविलंब कानून बनाने की मांग की है। विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने आज कहा कि पिछले दिनों में तो इन घटनाओं की झड़ी सी लग गई है। लखनऊ में एक पीड़ित महिला द्वारा आत्मदाह कर अपने प्राणों की बलि देना हो या सोनभद्र में पीड़िता का सिर कटा शव मिलना हो, पिछले 8-10 दिन से बड़ी संख्या में ये घटनायें सामने आ रही हैं जो किसी पत्थर दिल व्यक्ति का दिल दहलाने के लिए भी पर्याप्त हैं। केरल से लेकर जम्मू कश्मीर और लद्दाख तक इन षड्यंत्रकारियों का एक जाल बिछा हुआ है। गैर मुस्लिम लड़कियों को योजनाबद्ध तरीके से जबरन या धोखे से अपने जाल में फंसा लेना किसी सभ्य समाज का चिंतन नहीं हो सकता। यह केवल जनसंख्या बढ़ाने का भोंडा तरीका ही नहीं, अपितु आतंकवाद का एक प्रकार भी है। केरल उच्च न्यायालय ने इसे धर्मांतरण का सबसे घिनौना तरीका बता कर ही इसे लव जिहाद नाम दिया था। विश्व हिंदू परिषद ने संज्ञान में आए इस प्रकार की 170 मामलों की सूची बनाई है जो पिछले 8-10 सालों से संबंधित है। इस सूची को इस विज्ञप्ति के साथ जारी किया जा रहा है।
एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक गैर मुस्लिम लड़कियां इस षड्यंत्र का शिकार बन जाती हैं। जिहादियों के जाल में फंसने के बाद इन लड़कियों का न केवल जबरन धर्मांतरण होता है अपितु नारकीय जिंदगी जीने पर मजबूर किया जाता है। वेश्यावृत्ति करवाने और उन्हें बेच देने की घटनाओं के अलावा पूरे परिवार के पुरुषों व मित्रों द्वारा जबरन यौन शोषण की घटनाएं भी समाचार पत्रों में आती ही रहती हैं। जब इन अमानवीय यातनाओं की अति हो जाती है तो ये लड़कियां आत्महत्या के लिए विवश हो जाती हैं परंतु पुलिस में शिकायत करने का अवसर बहुत कम लड़कियों को मिल पाता है। एक न्यायालय ने तो अपनी टिप्पणी में पूछा भी था कि लव जेहाद की शिकार लड़कियां गायब क्यों हो जाती है।
लव जिहाद से संपूर्ण मानवता त्रस्त है। कहीं इसे रोमियो जेहाद तो कहीं इसे पाकिस्तानी सेक्स गैंग के नाम से संबोधित किया जाता है। मुस्लिम देशों में तो गैर मुस्लिम महिलाओं को यौन दासी माना ही जाता है बाकी देशों में भी इन्हें माले-गनीमत समझ कर अपनी कामुकता का शिकार बनाने की कोशिश की जाती है। अब विश्व के कई देश इससे त्रस्त होकर आवाज उठाने लगे हैं। म्यानमार की घटनाओं के मूल में भी लव जिहाद ही है। श्रीलंका में 10 दिन की आंतरिक एमरजैंसी लगाकर वहां के समाज के आक्रोश को शांत करना पड़ा था। जब स्वभाव से शांत बौद्ध समाज का आक्रोश यह रूप धारण कर सकता है तो बाकी समाज का आक्रोश कैसा होगा? इस को ध्यान रखकर अब लव जिहादियों को अपने इरादे बदल लेने चाहिए।
लव जिहाद की फंडिंग के समाचार सामने आ रहे हैं। PFI, SIMI, ISI जैसी संस्थाएं इनके पीछे हैं। इसीलिए कहीं भी मामला बढ़ने पर बड़े वकील तुरंत इनकी पैरवी के लिए खड़े हो जाते हैं जिनको लाखों - करोड़ों रुपए फीस के रूप में दिए जाते हैं। केरल की हादिया का उच्चतम न्यायालय में एक बड़े वकील द्वारा बड़ी फीस लेने का उदाहरण सबके सामने है। कई मामलों में तो पकड़े गए जिहादियों ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें इस काम के लिए मौलवी ने पैसे भी दिए हैं। वोट बैंक या अन्य निहित स्वार्थों के कारण आज भारत में सेकुलर बिरादरी हिंदुओं और देश के भविष्य की चिंता किए बिना इन जिहादियों का खुला समर्थन करती है। लखनऊ में आत्मदाह करने वाली पीड़िता को एक कांग्रेसी नेता ने ही राजनीतिक लाभ लेने के लिए उकसाया था। आज भारत में भी गैर मुस्लिम समाज आक्रोशित है। विहिप इस अपवित्र गठबंधन को चेतावनी देती है कि इनको समाज के आक्रोश से डरना चाहिए और इस घृणित कृत्य को तुरंत बंद कर देना चाहिए। इन षडयंत्रों के लिए सभी राज्य सरकारें समय समय पर चिंता व्यक्त करती रही हैं।
विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी समय समय पर इस संबंध में अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं। विहिप मांग करती है कि मामले की भीषणता को समझते हुए केंद्र व राज्य सरकारें लव जिहाद रोकने हेतु सशक्त कानून बनाएं। साथ ही हम समाज से भी अपील करते हैं कि वह ऐसी घटनाओं के प्रति चौकन्ने रह कर उन्हें रोकने हेतु संविधान सम्मत कदम उठाएं।
जारीकर्ता
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद