हिंदी करे पुकार मैं सिंचित मन की रानी हूं मैं आर्यावर्त विश्व रंग-मंच की सियानी हूं …क्योंकि मैं हिंदी हूं
मैं हिंदी हूं मैं सिंचित मन की रानी हूं मैं जन्मी हूं प्राकृत अपभ्रंश से सातवीं आठवीं सदी में गद्य ने किया है गुलजार आह्लादित हुआ सारा हिंदुस्तान …क्योंकि मैं हिंदी हूं
मैं हिंदी हूं मैं सिंचित मन की रानी हूं मैं दोहा रूप नीति उपदेश कवि श्रृंगार शौर्य पराक्रम है मेरे रूपक अलंकार …क्योंकि मैं हिंदी हूं
मैं हिंदी हूं मैं सिंचित मन की रानी हूं मैं भारत भूमि की आजादी की कहानी हूं जय घोष शंखनाद निकला मेरे मुख से छिन्न-भिन्न हुए समस्त उपनिवेश बस यही आगे व्यक्त करती हूं… क्योंकि मैं हिंदी हूं
मैं हिंदी हूं मैं सिंचित मन की रानी हूं मैंने लड़ी है हुकूमत से लड़ाई आजाद नारों से भागे हैं लाखों अंग्रेज प्रभावों से राजभाषा बनी बन न सकी हूं राष्ट्रभाषा …क्योंकि मैं हिंदी हूं
मैं हिंदी हूं मैं सिंचित मन की रानी हूं मैंने किया है 21वी. सदी का सारा संगणक युग आह्लादित गूगल इंस्टाग्राम व्हाट्सएप फेसबुक में हूं रची बसी …क्योंकि मैं हिंदी हूं
मैं हिंदी हूं मैं सिंचित मन की रानी हूं मैंने किया है सारा जग हिंदी मय हिंदी हिंदी करे सब पुकार घर-घर में बहे अब की हिंदी की रसधार क्योंकि मैं हिंदी हूं
जय हिंदी
ठाकुर तारा
हिमाचल