(आज मातृ दिवस के अवसर पर विशेष )
किससे सुनूँ माँ,आज फिर वो लोरी,
कैसा था चंदा मामा कैसी थी चकोरी।
तेरी याद में माँ आज आंख भर आई,
पिला दो मुझको माँ वो नेह की कटोरी।।
वो धनिए की चटनी,चूल्हे की रोटी,
कहती थी इससे स्वस्थ रहती किडनी।
बड़े प्यार से करती थी माँ, मेरी चोटी
मुझे फिर से बांधं माँ, ला दूँ वो डोरी।।
झूला जो बांहों का तूने हँसकर झुलाया,
खाया खुद ने नहीं,पहले मुझे खिलाया।
माँ तेरा आंचल था बहुत ही चमत्कारी,
माँ के बिना यह दुनिया लगे मुझे कोरी।।
मत खिलौने की चिंता कर, खूब पढ़ लाल,
पूजे देवी-देवता सलामत रहे गोपाल।
तुम बस्ता उठाए चली स्कूल तक साथ,
स्मृतियां क्यों छोड़ गई,आजा मैया मोरी।।
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।