#शशांक दुबे
क़लम में धार वही है,पर जज़्बात बदल गये।
इतना सहा ज़माने को,हालात बदल गये।
लहज़ा वही है बातों का,अल्फ़ाज़ बदल गये।
मधुर है गीत उसी तरह,बस साज़ बदल गये।
कोई कहाँ रहा युगों तलक,तख्तोंताज़ बदल गये।
चंद टुकड़ों के ख़ातिर,मोहताज़ बदल गये।
कल कुछ और ही थे,तुम आज बदल गये।
जो बँटे थे दुःख आपस में,सब राज़ बदल गये।
अज़नबी से लगते हो,प्यार के सब अंदाज़ बदल गये।
एक हल्के झोंकें में ही,सरताज़ बदल गये।
मैं वही मैं हूँ,जो कल मैं था
इस “मैं” के कारण ही तुम आज बदल गये।
क़लम में धार वही है,पर जज़्बात बदल गये।
इतना सहा ज़माने को,हालात बदल गये।
#उपद्रवी
शशांक दुबे
छिंदवाड़ालेखक परिचय : शशांक दुबे पेशे से सहायक अभियंता (प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना), छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश में पदस्थ है| साथ ही विगत वर्षों से कविता लेखन में भी सक्रिय है |