रूह ढूँढने चली नया कपड़ा

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krunal
अब रूह इस
बदबूदार जिस्म
का कपड़ा उतारकर
फेंक देना चाहती है,
रूह ढूँढ रही है,
ऐसा कपड़ा..
जिसके आगोश में,
शीतलता का
अहसास हो,
कोई पराया न हो
हर किसी की
उसको जरूरत हो..
और हर किसी को
उसकी जरूरत होl
रूह ढूँढने चली
एक नए जिस्म
का  कपड़ा….l

                                                                      #कृनाल प्रियंकर

परिचय : कृनाल प्रियंकर गुजरात राज्य के अहमदाबाद से हैं और स्नातक(बीकॉम)की पढ़ाई  पूरी कर ली हैl  आप वर्तमान में ग्रामीण विकास विभाग(गुजरात) में कार्यरत  हैंl  इन्हें शुरु से ही कविताओं से विशेष लगाव रहा है,तथा कविताएं पढ़ना-लिखना बेहद पसंद है

matruadmin

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One thought on “रूह ढूँढने चली नया कपड़ा

  1. बहुत खूबसूरत एहसास
    शुभकामनाएं कृणाल

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