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नामकरण पर ध्यान धर,करते हिय से जाप।
अनुयायी असहिष्णु बन, करते नहीं प्रलाप।
करते नहीं प्रलाप, गूढ़जन यदि अज्ञानी।
होता कैसे ज्ञात, यही हैं असली दानी।
दे प्रश्रय पाखंड,पड़े हैं अधम- चरण पर।
छले- वही बहुरूप,फँसे जो नामकरण पर॥
#शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’
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