कवि नहीं वह अभिनेता है

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कुछ लोगों को लगता है
कि वह एक कवि है
क्योंकि वह कविताएँ लिखता है
परंतु कविताएँ लिखी नहीं जातीं
उनका तो जन्म होता है
कविताएँ उन्मुक्त होती हैं
किंतु वह उन्हें बाँधकर रखना चाहता है
अपनी संकीर्ण मानसिकता की परिधि में

वह अपने गाँव में रहता है
गाँव में रहना विवशता है उसकी
क्योंकि नगर ने उसे कभी नहीं अपनाया
इसलिए वह अपनी कविताओं में
नगरों को नीचा प्रमाणित करने का
असफल प्रयास करता रहता है
जो उसके विचारों से सहमत नहीं होता
वह उससे घृणा करने लगता है

श्रमिकों की व्यथा लिखता है वह
लेकिन उन्हें पूरा पारिश्रमिक कभी नहीं देता
अपनी कविताओं में वह
जेठ की दोपहर में
खेतों में काम करने वाली युवतियों को
विश्व सुंदरियाँ कहता है
परंतु देखता है वह उन्हें ऐसे
जैसे गिद्ध देखता है शव को

करके सेवन तंबाकू का
धूम्रपान का दुष्प्रभाव लिखता है
अपनी कविताओं में
अपना वास्तविक चरित्र
कभी अनावृत नहीं करता है
कवि नहीं वह अभिनेता है
क्योंकि वह
कवि होने का अभिनय करता है

मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका
अररिया (बिहार)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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