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मोदक छंद
विधान– १२ वर्ण प्रति चरण
चार चरण दो-दो समतुकांत
भगण भगण भगण भगण
२११ २११ २११ २११
मोदक भोग गणेश लगे जब।
मूषक मौज मने मन में तब।
कार्तिक देव चहे मुझको कब।
मानस मोदक चाह रखे सब।
शंभु महा शिव ध्यान हटा कर।
चाहत मोदक ले छुप के धर।
आक कनेर धतूर व बैंगन।
मैं जहरी जहरी वर ये जन।
शेर मयूर उमा सब देखत।
मोदक लालच मानस विक्षत।
बैल रहा कुछ सोच करे तक।
सुण्डि लपेट लिए झट मोदक।
बाबू लाल शर्मा , बौहरा विज्ञ
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