गहलौत ने ऐसा चक्कर चलाया,
पायलट चारो खाने चित्त आया।
कहता था मै सरकार गिरा दूंगा,
पर ऐसा गिरा खुद उठ ना पाया।।
अब पायलट कैसे हवा में उड़ेगा,
उसका जहाज कहां लैंड करेगा।
मन में मन वह पछता रहा होगा,
अपनी करनी वह खुद ही भरेगा।।
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का,
रहा वह अब सोलह दूनी आठ का
बनना चला चोबे से छक्के बनने,
रहा न धोबी वह अपने घाट का ।।
चला था वह नाको चने चबाने को,
रहा न एक चना उसे चबाने को।
खुश होगा वह बहुत आजकल,
अगर मिले एक चना चबाने को।।
कहते हैं नशा होता है शराब में,
पर शराब से ज्यादा है सत्ता में,।
जब दोनों न मिले किसी नेता को,
वह डूब जाता है गमो के छत्ते में।।
माया न मिली,न मिले उसे राम,
मांगते हो गई सुबह से अब शाम।
क्या करेगा वह बेचारा पायलट,
जब कोई न रहा उसका हाथ थाम
सोचा था सत्ता जहाज उड़ाने की,
किसी ने सोचा था उसे गिराने की।
दोनों ही लगे रहे उड़ाने गिराने मै,
दोनों लालायित हैं सत्ता पाने की।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम