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इश्क तो उस…
इश्क़ तो उस ज़माने में हुआ करते थे,
जब छतों पर कबूतर उड़ा करते थे..
नज़र भी कभी मिल जाए तो, कयामत तौबा..
दिल के ज़ज़्बात बस दिल ही समझा करते थे…
इश्क़ तो उस जमाने में हुआ करते थे…।
वो उसका निकलना दामन समेट के,
और उसका देखना यारों से छुपकर..
एक दीदार-ऐ-यार को न पूछो यारों,
अर्से गुज़र जाया करते थे…
इश्क़ तो उस ज़माने में हुआ करते थे…।
मेले के बहाने मुलाकातों के वो दौर सुनहरे
उड़ते गुलाल में मेहबूब की तस्वीरों को बुनते..
खतों में जैसे आज,कल,ख्वाब और…..
हिज़्र के सारे दर्द उतर जाते थे…।
इश्क़ तो उस ज़माने में हुआ करते थे…
#हरप्रीत कौर
परिचय : मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहने वाली हरप्रीत कौर कॊ लेखन और समाजसेवा का बेहद शौक है।आपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई समाजकार्य में ही की है। कई एनजीओ के साथ मैदानी काम भी किया है। आपकी उपलब्धि यही है कि,2015 में महिला दिवस पर इंदौर की 100 महिलाओं में इन्हें भी समाजकार्य हेतु सम्मानित किया गया है। आप वर्तमान में महिला हिंसा के विरुद्ध कार्यरत हैं तो,कौशल विकास कार्यकम तथा जनजागरूकता के कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं।
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