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रिश्ता केवल प्रेम का
विश्वास का जज्बात का
स्वार्थ जहां चलता नही
अपना हित सधता नही
शर्त जहां कोई होती नही
मजबूरी भी रहती नही
धनी निर्धन का भेद नही
छोटे बड़े की सोच नही
अहंकार का समावेश नही
बदले का कोई क्लेश नही
बहती प्यार की धारा है
वही सच्चा मित्र हमारा है।
#श्रीगोपाल नारसन
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