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परंपरा का आधार
ऊर्जा शक्ति अपार।
पाते स्वास्थ लाभ
करते योगाभ्यास
तन का आधार
रोग मुक्त का द्वार
एकाग्रचित मन
शुद्ध तन निर्मल ।
जीवन है अनमोल
दे दो कुछ पल।
दे आत्म शुद्धि
इससे बढे बुद्धि ।
चंचल मन बस में रहे
पास न आवे कुबुद्धि।
पौराणिक पर गुणी है
रोगो की यह औषधि है ।
लेना देना कुछ नही
खर्च कोई लगता नही।
कई आसन है करने
समय थोडा ही लगते ।
अपनाओ जीवन में सभी
रहो चंगे लगो प्यारे।
आशुतोष
पटना बिहार
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