क्या है बदला लेने की कला?

1 0
Read Time6 Minute, 37 Second

आज हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि बदला कैसे लिया जाए। जब ​​बदला की यह आग दिल के अंदर जल रही है, तो यह तभी बुझ सकती है, जब हम उस व्यक्ति को डांटेंगे।तो, कृपया हमें बताएं कि कैसे बदला लेना है। तो मैं आपको बताती हूं कि बदले की इस कला के साथ बदले की आग को कैसे संभालना है।सबसे पहले बदला लेना यह है कि हम एक जलते हुए कोयले को पकड़ रहे हैं और हमारा हाथ उस व्यक्ति की प्रतीक्षा कर रहा है जिस पर हम उसे फेंकना चाहते हैं। वह व्यक्ति इस कोयले से जलेगा या नहीं लेकिन हम अभी इससे जल रहे हैं। बदला का यह विचार ऐसा है जैसे आम तौर पर लोग कहते हैं कि जब हम उसे बुरी तरह से डांटेंगे तो हम तनावमुक्त हो जाएंगे, लेकिन अपने प्यारे दोस्तों को देखें कि उस व्यक्ति को सजा मिले या नहीं, लेकिन आप सबसे पहले आराम करना चाहते हैं। वरना बदला की मानसिकता ऐसी है, जैसे आपने किसी को अपना मन का कमरा किराए पर दे दिया  हो। यदि कोई अपना कमरा किसी को देता है, तो वह इसके लिए किराया लेता है।लेकिन देखें कि यू ने आपके सिर और दिल के किराए को किसी को मुक्त रखा है और आप इससे पीड़ित हैं — हे मेरे भगवान यह मैं क्या कर रहा हूँ।इसलिए कहा जाता है कि बदला मानसिकता वाले लोग दो कब्र खोदते हैं। वह अपने खुद के लिए पहले खोदता है  बाद में दूसरे व्यक्ति की कब्र खोदता है। तो वास्तव में यह एक ऐसी बुरी सोच है, जो किसी व्यक्ति के जीवन को दुःख से भर देती है, जैसे कि एक बिच्छू जो आग में जल रहा है लेकिन पहले वह खुद को डंक मारता है और मर जाता है। वह बाद में जलता है लेकिन अपने डंक से मर जाता है। इस तरह से जो व्यक्ति बदला के विचारों में जल रहा है वह खुद को दंडित कर रहा है। दूसरे व्यक्ति को सजा मिलेगी या नहीं यह बाद की  बातें हैं।लेकिन उसकी क्या हालत है। और जब हम बदला लेने की मानसिकता रखते हैं तो क्या होता है। यह कर्म के साँचे को और अधिक जटिल बनाता है। मैं उसे सजा देना चाहता हूं तो वह मुझसे बदला लेगा। फिर मैं प्रत्युत्तर बदला लेता हूं, फिर वो हमला कर  लेता है, यह चक्र ऐसे ही चल रहता है।जैसे कर्म का यह प्रत्युत्तर इतना जटिल हो जाता है, कि यह व्यक्ति के दिमाग को और भी अधिक जटिल बना देता है और जिस व्यक्ति का दिमाग जटिल होता है, वह अपने जीवन में कभी भी खुश नहीं रह पाता है। अगर हम रुकना चाहते हैं और हमारे मन में शांति पाने की जरूरत है तो माफ कर दो। बदला लेने का यह विचार अच्छा नही है, लेकिन एक बात करें कि आप किससे बदला लेना चाहते हैं अपने आप से या उस व्यक्ति से। मैंने पहले ही आपको दो पंक्तियों में बोला है उन्हें माफ कर दो। उदाहरण नेल्सन मंडेला जो राजनीतिक पृष्ठभूमि के हैं!आजादी के समय 1994 में, वह शपथ समारोह में शपथ ले रहे थे और उन्होंने उन्हें जेल में रखने और उन्हें बेरहमी से पीटने के लिए आमंत्रित किया।फिर उन्होंने पूछा कि आपने हमें क्यों आमंत्रित किया सर? तो, नेल्सन मंडेला ने कहा कि मेरे दिल में माफी है,क्यूँकि मैंने ईश्वर का आश्रय लिया है।भगवान ने हमेशा कहा कि तुम कर्म करते हो और उन्हें हमेशा क्षमा करते हो और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। हम जानते है व्यक्ति के लिए क्षमा करना बहुत कठिन है, ओर हम क्यों क्षमा करने में असमर्थ हैं? क्योंकि हमें लगता है कि अन्य व्यक्ति मेरी समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन हमें यह समझना होगा कि हमारे जीवन में जो कुछ भी हो रहा है वह हमारे अपने कर्मों के कारण है। तो दूसरा व्यक्ति उस दुख को लेने के लिए सिर्फ एक साधन है। दरअसल वो समस्या ओर जो दुःख  मिला है  वो मेरे जीवन में क़िस्मत से हुई थी। यह सोचना होगा कि यह मेरा कर्म है और अन्य व्यक्ति हमारे कर्म का एक साधन मात्र है। हम अपने आप को शांत कर सकते हैं और उस व्यक्ति को क्षमा कर सकते हैं कि यह उसकी गलती नहीं है। यह मेरा अपना दोष है कि मैं पीड़ित हूं। मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकता क्योंकि मेरे पास तुम्हारे खिलाफ कोई शिकायत नहीं है ऐसे बन जाओ। महात्मा बुद्ध दया, क्षमा, मानवता के थे पुजारी उन्होंने ही क्षमा को बहुत महत्व दिया। । बुरी बातें याद करते रहने से हमारा आज बर्बाद हो जाता है। इस आदत की वजह से भविष्य भी बिगड़ सकता है। इसीलिए बीते हुए कल की बातों को भूलाकर आगे बढ़ना चाहिए।ओर माफ़ कर दो ओर आगे बढ़ो। मुश्किल नही बहुत आसान है बस यह भावना माफ़ करने की अपने में पैदा करो ओर अपने जीवन को उत्तम बनाओ। बुद्ध बनना कोई मुश्किल नही।धरती बनो -धरती माँ की तरह सहनशील और क्षमाशील होनी चाहिए। क्रोध एक ऐसी आग है जिसमें क्रोध दूसरों को तो बाद में जलाए गा और हम खुद पहले जला देते है।कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते। क्षमा ताकतवर की विशेषता है तों यह आपको तय करना की आप क्या बनना चाहते हो।
#पायल बेदी

matruadmin

Next Post

क्या सरकार से चाहिए छोटे उद्योगों को बड़ी राहत?

Tue May 12 , 2020
#इंदु भूषण बाली Post Views: 258

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।