तेरी बेरुखी से
क्या हो गया।
लिखने बैठे प्रेमगीत…2
लिख जाता लोकगीत।।
तेरी बेरुखी से…….।
समझ नही अब
आ रहा मुझको,
हो रहा ऐसा क्यों
करें क्या हम अब।
तुम ही बतला दो…2
मेरी जानेमन।
बचा दो मुझे तुम
मोहब्बत के चक्कर से।।
तेरी बेरुखी से…….।।
छोड़ दो मुझे तुम,
मेरे हाल पर अब।
जीऊ या मरु में,
तुम्हें क्या करना।
जीवन था अनमोल मेरा..2 लिखते थे जब।।
तेरी बेरुखी से……..।।
अब तो सब कुछ
छूट गया मेरा।
तेरे बिछड़ ने से
रुठ गई सरास्वती।
जब से तुमने ….2
मुंह मोड़ लिया।।
तेरी बेरुखी से……..।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।