फिर शरारत हो गई तो,
अब सियासत हो गई तो?
मुल्क सहता नोटबन्दी,
अब खिलाफत हो गई तो?
रुपया काला नहीं लाए,
फिर बगावत हो गई तो?
गुप्त रख तू सूचना सब,
गर तिजारत हो गई तो?
काटकर सर ला रहे थे,
पर रियासत खो गई तो?
डर यूँ खादी से लगे अब,
गर हजामत हो गई तो?
(बहर 2122 2122)
#सलमान सिकंदराबादी
परिचय : सलमान ‘सिकंदराबादी’ राजस्थान के सिकंदरा ग्राम(जिला-दौसा)में रहते हैं। आपका व्यवसाय क्लिनिक चलाना है पर लेखन में खूब रुचि है। उर्दू से एमए कर चुके हैं और विशेष रुचि ग़ज़ल और हास्य कविता लिखने में है। आपकी उपलब्धि यह है कि, बीकानेर में कवि सम्मलेन में सम्मानित हुए हैं। आप सम्मलेन में काव्य पाठ करने के साथ ही उर्दू मंचों का संचालन भी करते हैं।