हम पड़ोसी को भाई समझते रहे,
दोस्ती से मसायल सुलझते रहे।
नक्सली बेहयाई की हद कर दिए,
चोरी-चुपके से हमसे उलझते रहे।।
सोते सिंहों को छेड़ा बुरी बात है,
तेरे पुरखों ने खाई सदा मात है।
प्राण निर्दोष के लेके धोखा किया,
हम बताएंगे तेरी क्या औकात है??
शत्रु को जो मसल पीस देते रहे,
एक के बदले सिर बीस लेते रहे।
ऐसे रणबाँकुरों को है शत-शत नमन,
मां की रक्षा में जो शीश देते रहे।।
#वैकुण्ठ नाथ गुप्त ‘अरविन्द’
परिचय : वैकुण्ठ नाथ गुप्त ‘अरविन्द’ मौलिक रूप से गीत,कहानी,छन्द की सभी विधाओं में कविताएँ,लेख माँ वीणा पाणी की कृपा से लिखते हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में इनका प्रकाशन होता रहता है। कुछ समाचार पत्र में आपके व्यंग्य का स्थाई स्तम्भ भी प्रकाशित हो रहा है। आप फैज़ाबाद जिले के तेलियागढ़(उ.प्र.) में रहते हैं।