यह,मन प्यासा,पंछी मेरा
नील गगन उड़ करे बसेरा ।
पल मे देश विदेशों विचरण,
कभी रुष्ट,पल मे अभिनंदन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
पल में अवध,परिक्रम करता,
सरयू जल अंजुलि में भरता।
पल में चित्र कूट जा पहुँचे,
अनुसुइया के आश्रम पावन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
पल में शबरी आश्रम जाए,
बेर,गुठलियाँ ढूँ ढे खाए।
किष्किन्धा हनुमत से मिलकर,
कपि संगत वह करे जतन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
पल में सागर तट पर जाकर,
रामेश्वर के दर्शन पा कर।
पल मे लंक,अशोक वाटिका,
मिलन विभीषण,पहुँच सदन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
पल मे हनुमत के संग जाता,
संजीवन बूटी ले आता।
मन पल मे हीें रक्ष संहारे,
पुष्पक बैठ अवध आगमन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
राजतिलक और रामराज्य के,
सपने देखे कभी सुराज्य के।
मन पागल या निशा बावरी,
भटके मन ,घर सोया तन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
मै सोचू सपनों की बातें,
मन की सुन्दर,काली रातें।
सपने में तन सोया लेकिन,
रामायण पढ़ करे मनन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
मेरे मत मन, तन से अच्छा,
प्रेम-प्रीत की रीत में सच्चा।
प्रेमी,बैरी, कुटिल,पूज्यवर,
सबके मन को करे नमन,
प्यासा पंछी, उड़ता मन।।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः