आओ सखि सब झूला झले,
पींग बढ़ाकर नभ को छूले।
आया है तीजो का त्योहार,
मन में है मेरे खुशी अपार।।
साजन भी मेरे आ जाएंगे,
सुहाग का सामान वे लाएंगे।
करूंगी मै सोलह सिंगार,
महकेगा मेरा सारा संसार।
भूल जाएंगे अब मन के सूले,
आओ सखी सब झूला झूले।।
रिमझम रिमझिम पानी बरसे,
जिया मेरा पिया को तरसे।
हो जाएगा जब मिलन मेरा,
प्रसन्न चित्त होगा तब मेरा।।
आओ सब पिछली बाते भूले
आओ सखी सब झूला झूले।।
पड़ गए झूले आम की डार पर,
कोयले कूके अपनी तान पर।
भोरे झपटे हर कलि कलि पर
तितलियां बैठी है हर फूल पर
ऐसी तीजो को कभी ना भूले।
आओ सखी सब झूला झूले।।
आया है सुसराल से सिंदारा,
भरा इसमें सुहाग का भडारा।
इसमें भरा मां बाप का प्यार,
और भाई भाभी का दुलार।
ऐसे पीहर को मै कैसे भुलू,
आओ सखी सब झूला झूले।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम