आज विरह का मिलन से,मिलन हो रहा है |
मानो धरा का गगन से मिलन हो रहा है ||
मिलेगी जब मेरी नजर, पिया की नजर से |
ऐसा लगेगा,मानो दुखो;का दमन हो रहा है | |
कर रही हूँ उनका स्वागत पलके बिछा कर |
लगेगा जैसे नई ऋतु का सम्मान हो रहा है ||
होगी ढेर सारी बाते उनसे उनके मिलन पर |
दिल से बुरी बातो का अब खनन हो रहा है ||
निकलेगे मास्क पहन कर जब बाजार में दोनो |
लगेगा ऐसा ,मानो कोरोना का गमन हो रहा है ||
मुक्त हो जाएगे कोरोना से तब ही फूल खिलेगे |
लगेगा मानो धरा की हर जगह चमन हो रहा है ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम