देह का मोह “

0 0
Read Time3 Minute, 0 Second
kaji
 गीतांजलि और सरिता दो ऐसी सहेलियां थी,जो एक दूजे के बिन नहीं रह सकती थी ।
दोनों के स्वभाव बिल्कुल विपरीत थे ।
गीतांजलि सरल और शांत स्वभाव की तो सरिता घमंडी प्रवृत्ति की थी ।
 दोनों के विचारों में बहुत अंतर था ।
गीतांजलि, मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी थी तो सरिता धनी परिवार की थी ।
गीतांजलि ने कहा – सरिता तुम हर पल इतना घमंड क्यों करती हो ? ईश्वर ने हमें इतना अमूल्य जीवन प्रदान किया ।
 सरिता ने कहा – गीत, तुम्हारे आदर्शों से दुनिया नहीं चलती,जीवन के लिए धन सर्वोपरि है । मुझे मेरे रूप-रंग और देह बहुत प्यारी है ।
गीतांजलि ने कहा – नश्वर शरीर ( देह) का कैसा अभिमान ? शरीर नाश्वान है , विचार नहीं ।
सरिता ने कहा – मैंने अपनी देह को बहुत मेंटेन किया लेकिन तुम ये सब नहीं समझोगी ।
गीतांजलि ने कहा – समय रहते संभल जाओ ।
  एक दिन सरिता और गीतांजलि, कालेज से (स्कूटी से )घर लौट रही थी ।
 सरिता स्कूटी चला रही थी, गीतांजलि पीछे बैठी थी ।
तभी अचानक सामने से दौड़ता हुआ कुत्ता गाड़ी के सामने आ गया । उसे बचाने के प्रयास में संतुलन बिगड़ा और दुर्घटना हो गई ।
  गीतांजलि को मामूली-सी खरोंच आयी ।
 सरिता चेहरे के बल जमीन पर गिरी और उसके चेहरे पर पत्थर घुस गये ।
 भीड़ ने दोनों को अस्पताल में दाखिल कराया ।
  सरिता का चेहरा बहुत बुरी तरह से बिगड़ चुका था ।घाव इतने थे कि पट्टियां लगानी पड़ी ।
  समय बीतता गया……
   सरिता के चेहरे के घाव तो भर गये परंतु जिस देह , जिस सुंदर चेहरे पर उसे अभिमान था , वो सदा के लिए कुरूप हो गया था ।
शिक्षा – दुनिया में देह का मोह करने वाला महामूर्ख है ।

         #डॉ.वासीफ काजी

परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

एकाकी

Tue Jun 12 , 2018
  वो आता उषा के संग , किरण आसरा पाता । संध्या के संग हर दिन , दिनकर क्यों छुप जाता । तजकर पहर पहर सबको , वो एकाकी चलता जाता । हर प्रभात का दिनकर , संध्या दामन ढल जाता ।           #विवेक दुबे परिचय […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।